लन्ड की प्यासी विधवा भाभी को लिफ्ट देने के बहाने पेला Hindi sex stories

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Hot bhabhi sex story

मैं आज आप सबके सामने अपनी चुदाई की कहानी के साथ प्रस्तुत हूँ जो एक सत्य घटना है.

इसलिए मैंने अपना और अन्य पात्रों के नामों को बदल दिया है.

ये हॉट भाभी सेक्स स्टोरी एक विधवा भाभी की और मेरी चुदाई की है. उसका नाम कोमल है.

सबसे पहले मैं अपना परिचय दे देता हूँ. मैं एक 27 साल का मजबूत, लंबा और खूबसूरत लड़का हूं.

मेरा लंड करीब 6 इंच लम्बा और 3.5 इंच मोटा है. मेरे लंड की लंबाई औसत है लेकिन मोटाई अच्छी होने के कारण आज तक मैंने अपनी बीवी के अलावा जितनी भी लड़कियों को चोदा है, वो सब मेरे लौड़े की फैन हैं.

मैंने लॉकडाउन में पड़ोस की कई भाभियों को भी चोदा है. उन सभी को मैंने न केवल सन्तुष्ट कर दिया है बल्कि मैंने उनको बार बार बुलाने के लिए भी मजबूर कर दिया है.

मैं कानपुर की एक फैक्ट्री में मैनेजर के पद पर तैनात हूँ. मेरी अच्छी खासी नौकरी और वेतन है.

ये बात 2 साल पुरानी उस समय की है, जब मैं कानपुर में नया-नया आया था. मैंने उस वक्त एमबीए किया था और अपनी डिग्री लेकर ही इस फैक्ट्री को ज्वाइन किया था.

मैंने कानपुर में किराएदार के रूप में एक पूरा फ्लैट बुक किया और नौकरी की शुरुआत कर दी थी.

सब अच्छा चल रहा था.

जब भी मेरे लन्ड में खुजली होती थी, तब मैं अपनी फैक्ट्री में काम करने वाली एक महिला श्रमिक सोनम को चोदने चला जाता था. क्योंकि सोनम पति शराबी था, तो घर का खर्च  चलाने के लिए सोनम चुदाई का काम भी करती थी.

उसको चोदने के बाद मैं रात को करीब बारह से एक बजे के बीच वापस घर लौट आता था.

वो 7 जुलाई 2019 का दिन था.

उस दिन ऐसे ही रात में मैं सोनम की चूत का भोसड़ा बना कर वापस आ रहा था.

वापस आते समय मोतीझील के पास जब कार मेरी पहुंची, तो एक महिला ने मुझे लिफ्ट का इशारा किया.

रात का समय था तो मैंने ज्यादा दिमाग न लगाते हुए कार रोक दी.

मेरी कार रुकते ही वो पास आकर बोली- मुझे आई आई टी के पास तक जाना है, क्या तुम मुझे छोड़ दोगे. अभी कोई रिक्शा भी नहीं मिल रहा है.

मैंने ज्यादा ध्यान न देते हुए हां बोल दी.

मैंने कार का दरवाजा खोला, वो आकर आगे वाली सीट पर बैठ गयी.

उस महिला की उम्र करीब 45 साल के आस-पास रही होगी, वो नीली साड़ी पहने हुए बला की खूबसूरत लग रही थी.

मैं- कहां रहती हो आप?

महिला- जी आई आई टी के पास.

मैं- क्या करती हो आप?

महिला- मैं एक हाउसवाइफ हूँ और आप मुझे कोमल कहकर बुला सकते हो. मेरा नाम कोमल है.

मैंने- ओके.

कोमल- आपका क्या नाम है?

मैं- जी मेरा नाम नितिन है.

कोमल- आप क्या करते हो?

मैं- जी मैं एक फैक्ट्री में मैनेजर हूँ.

वो चुप हो गई.

मैं- इतनी रात को आप अकेले कैसे?

कोमल- मैं कुछ जरूरी काम से बाहर आई थी.

मैं- इतनी रात को क्या जरूरी काम था?

कोमल- कुछ नहीं बस यूं ही.

ये कह कर वो मुस्कुरा दी.

उसकी मुस्कुराहट में ही बहुत कुछ छिपा था.

कोमल- नितिन आप कहां रहते हो?

मैं- जी यहीं गुरुदेव पैलेस के पास में.

कोमल- अच्छा … आप काम कहां करते हो?

मैं- जी मंधना.

कोमल- तो दूर नहीं पड़ता आपके यहां से?

मैं- दूर तो पड़ता है, लेकिन मैं कानपुर में अभी नया हूँ तो किसी को जानता नहीं हूं.

कोमल- अच्छा … आपका खुद का घर है?

मैं- नहीं, किराये पर फ्लैट में रहता हूँ. मंधना की तरफ कोशिश की थी, लेकिन उधर कोई फ्लैट मिला नहीं.

कोमल- अच्छा अच्छा.

मैं- हम्म.

कोमल- मैं एक बात बोलूं!

मैं- हां बोलो.

कोमल- मेरा एक घर खाली है मंधना में … अगर आप चाहें, तो वहां रह सकते हैं. अगर आपको ऐतराज न हो तो.

मैं- अरे वाह … मुझे क्यों ऐतराज होगा. मैं तो खुद ही उधर ढूँढ रहा था. मगर मैं आपको किराया ज्यादा नहीं दूंगा कोमल जी.

कोमल- अरे, जितना मन हो दे देना … खाली ही तो पड़ा है.

कोमल- अच्छा आप ये मेरा कार्ड ले लीजिए … और 1-2 दिन में मैसेज कीजिए.

मैं- अच्छा कोमल जी.

कोमल- कोमल जी नहीं, केवल कोमल.

मैं- अच्छा कोमल.

तब तक उसका घर आ गया था.

उसका घर रोड पर ही था.

वो मुझे धन्यवाद बोलकर गाड़ी से उतरकर चली गई.

दो दिन बीत जाने के उपरांत मैंने अपने मोबाइल फ़ोन से कोमल को कॉल किया.

तो कॉल लगा नहीं.

मैंने नंबर को सेव करके व्हाट्सएप पर मैसेज किया.

‘कोमल, मैं नितिन … पहचाना!’

उधर से 2 मिनट बाद जवाब आया- हां बिल्कुल पहचाना. कैसे हो, क्या कर रहे हो?

मैं- कुछ नहीं आज रविवार था तो सोचा कि आपसे घर के बारे में पूछ लूं.

कोमल- इसमें पूछना क्या है. जब आपका मन हो तो चलकर घर देख लेना.

मैं- मैं अभी खाली हूं.

कोमल- अच्छा आधा घंटा में घर आ जाओ.

मैं- ठीक है, मैं आता हूं.

आधा घंटा के बाद मैं जब उसके घर पंहुचा और कार को साइड में लगाकर मैंने दरवाजे की घंटी बजा दी.

तो वो मिनट समय के पश्चात उसकी बेटी आई.

उसका नाम मिस्टी था, उसने गेट खोला.

उसको देख कर मैं चौंक गया. उसकी उम्र यही कोई 22-23 साल की रही होगी.

बड़ी मस्त माल थी. नीली आंखें, भरा बदन और सुंदर चेहरा देखकर ही मेरे लंड ने सलामी देनी शुरू कर दी.

तभी कोमल ने आवाज लगाई- नितिन अन्दर आ जाओ.

दो मिनट बैठने के बाद कोमल भी आ गयी. उसको देखकर बिलकुल लग ही नहीं रहा था कि वो चुद एक बेटी को पैदा भी कर चुकी है.

काली साड़ी और लाल लिपिस्टिक में क्या कयामत ढा रही थी.

मैंने मन ही मन सोचने लगा कि मां बेटी दोनों जबरदस्त माल हैं, अगर इनकी चूत मारने का मौका मिल जाए तो जन्नत की सैर हो जाए.

मैं इन्हीं ख्यालों में खोया हुआ था, तभी कोमल ने कहा- चलें!

मैं- हां ठीक है चलो.

कार में बैठकर हम दोनों चल दिए.

थोड़ी दूर तक यूं ही सामान्य बातचीत करने के बाद मैंने कहा- कोमल, आप बहुत खूबसूरत लग रही हो.

कोमल- अच्छा … झूठे.

मैं- नहीं कोमल जी … सच!

मेरे इतना कहते ही मैंने कार के अन्दर का व्यूमिरर उसकी तरफ कर दिया.

कोमल- अच्छा जी, फ्लर्ट कर रहे हो?

मैं- अरे यार, मैं तो हकीकत बता रहा हूं.

वो हंस दी.

मैं- काश आप …

कोमल- क्या काश आप!

मैं- काश आप कुंवारी होतीं, तो मैं आपसे शादी कर लेता.

कोमल हंसती हुई बोली- अभी भी देर नहीं हुई है.

मैं- अरे … आपकी तो शादी हो चुकी है न!

कोमल- हुई थी लेकिन अभी मैं अकेली रहती हूँ. मेरे पति की कार एक्सीडेंट में मौत हो गयी थी.

मैं- ओह सॉरी!

कोमल- वैसे तुम मेरी बेटी को घूर क्यों रहे थे?

मैं- इतनी सुंदर जिसकी बेटी हो, उसको तो सभी घूरेंगे ही.

कोमल- अच्छा जी.

मैं- वैसे आपको अपने पति की कमी महसूस नहीं होती?

कोमल- होती है.

अब मैं और कोमल दोनों कुछ देर शांत हो गए थे.

कुछ देर के बाद …

मैं- कोमल आपकी ब्रा दिख रही है, इसको सही कर लो.

कोमल- यार तुम तो सीधा बोल देते हो.

मैं- बातों को घुमाने से कोई फायदा नहीं होता.

कोमल ब्रा ठीक करती हुई बोली- तुमने कुछ देखा तो नहीं न!

मैं- देखा है.

कोमल- क्या!

मैं- छोड़िए भी.

कोमल- बताओ न यार!

मैं- आपके दूध का निप्पल!

कोमल- अच्छा उधर तक देख लिया.

मैं- लेकिन आप वाकयी काफी सुंदर हो.

कोमल- अच्छा.

इसी तरह सेक्सी बातचीत करते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रख दिया और धीरे धीरे उसको सहलाने लगा.

कोमल ने इसका कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी.

थोड़ी देर जांघ सहलाने के बाद अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया.

दोनों की सांस तेजी से चलने लगी.

मैंने गाड़ी को किनारे लगा दिया और अपने होंठों से उसके होंठों पर चुम्बन का ताला लगा दिया.

कुछ देर तक उसके होंठों को चूमते हुए मैंने अपने एक हाथ 

से  उसकी चूचियों को धीरे धीरे से दबाना शुरू कर दिया.

उसके मुँह से ‘आह … आह …’ की आवाज आने लगी.

कोमल- नितिन और जोर से दबाओ, आज बहुत दिनों के बाद ऐसे कोई दबा रहा है.

मुझे समझ आ गया कि कोमल बहुत दिनों से लन्ड की प्यासी है.

उसकी चूचियां तनने लगी थीं और एकदम टाइट हो गयी थीं.

मैंने मौका मिलते ही उसका ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्रा के ऊपर से ही और तेजी के साथ उसकी चूचियों को दबाने लगा.

उसके मुँह से मादक सिसकारियों की आवाज बढ़ने लगी.

तभी एकाएक रोड के दूसरी ओर से आवाज सुनाई दी. उस तरफ से दो लड़के ये सब देखकर हंस रहे थे.

मैं कोमल से तुरंत अलग हुआ और कार स्टार्ट कर दी.

कोमल ने भी खुद को ठीक करते हुए कहा- नितिन, घर यहां से थोड़ी ही दूर है.

उसके मंधना वाले घर पर पहुंचते ही मैंने सबसे पहले कार को किनारे लगाया और सीधा घर के अन्दर आ गया.

अब तक कोमल घर को खोल चुकी थी.

घर तो अच्छा था लेकिन सबसे अच्छी बात ये थी कि उस घर में फिलहाल एक बेड था जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत अभी थी ताकि कोमल की ताबड़तोड़ चुदाई हो सके.

कोमल बोली- तुम रुको मैं अभी आती हूं.

इतना बोलकर वो बाथरूम चली गयी लेकिन मुझसे रहा नहीं गया.

जब उसने अपनी साड़ी को उठाया और पैंटी को उतारकर मूतना चालू किया तो उसके चूत से मूतने के टाइम आती हुई मधुर ध्वनि से मेरा उसे चोदने को बेताब सा हो गया .

मैं चुपचाप बाथरूम पहुंचकर गेट से ही उसकी चूत की तरफ देखकर सीसी की मधुर आवाज को सुनने लगा.

मेरा औजार अब टाइट होकर जींस फाड़कर कोमल की चूत के भीतर जाने को बेकरार था.

जैसे ही कोमल मूत कर पीछे उठी.

मैं बोला- क्या मस्त आवाज थी.

कोमल बोली- आज तो घर में कई आवाजें आएंगी … आह-आह … फच फच …

मैं बोला- लेकिन आपकी पसंददीदा आवाज कौन सी है?

कोमल बोली- चरमसुख से निकलने वाली आह आह की आवाज.

मैंने बिना समय गंवाते हुए सीधे उसको अपनी बांहों में भरा और चुम्बन द्वारा उसके होंठों के रसपान करने लगा.

फिर धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबाते हुए उसकी ब्रा और साड़ी उतारनी शुरू कर दी.

कोमल के मुँह से आवाज की गति बढ़ती ही जा रही थी. उसको पूरी तरह से नंगी करके मैंने अब अपना हाथ पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर फिराने लगा.

कोमल बिन पानी के मछली के बिन तड़पने लगी. हम दोनों की सांसों को अलग करना मुश्किल हो रहा था.

तभी कोमल बोली- चलो अन्दर कमरे में चलते हैं.

अन्दर आते ही मैंने अपने कपड़े उतरे और नंगा हो गया और अब मेरा औजार आजाद हो गया.

कोमल की पैंटी को उतारकर मैंने उसकी चूत में उंगली अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी.

कोमल- आह-आह नितिन और तेजी से करो. आज मेरी चूत की प्यास बुझा दो … बहुत दिनों से किसी का लन्ड नहीं गया है, आज मेरी प्यास भुजा दो.

मैं- कोमल आज तुम्हारी सारी प्यास बुझा दूंगा. तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूंगा.

कोमल- मैं भी यही चाहती हूँ और तेजी से मेरे राजा.

मैंने अब अपनी उंगली निकाल कर अपना मुँह उसकी की चूत पर रख दिया और चूत में चीभ डालकर उसकी चूत को चाटने और काटने लगा.

 भाभी सेक्स की मस्ती में आ गई थी.

कुछ मिनट की और चुसाई के बाद उसकी चूत ने झरना बहा दिया, मैं उसके चूत के रस को पी गया.

कोमल बोली- अब मत तड़पाओ मेरे राजा … अब अन्दर डाल भी दो.

मैंने अपने लंड पर वेसलीन लगाया और एक ही बार में पूरा  लौड़ा अन्दर दे दिया.

मेरा मोटा लंड सीधा उसके बच्चेदानी से जा टकराया.

उसकी आंख से आंसू निकलने लगे.

थोड़ी देर तक ऐसे ही रूके रहने के बाद मैंने धक्के लगा कर चोदना शुरू किया.

तकरीबन 20 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरे लंड से माल निकलने लगा और मैंने अपना पूरा माल उसकी चूत में डाल दिया.

मैं निढाल होकर बगल में लेट गया.

उस दिन मैंने कोमल को अलग-अलग पोजिशन में बहुत बार चोदा और उसकी चूत की प्यास बुझाई.

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