भईया की साली को अपने कमरे पर बुलाकर रात भर पेला Hindi sex stories

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Sali bani gharwali

नमस्कार भाईयो, मेरा नाम राज है और मैं छत्तीसगढ़ भिलाई का रहने वाला हूँ.

दोस्तो आज मैं अपनी पहली सेक्स कहानी लिख रहा हूँ.

यह सेक्स स्टोरी उस टाइम की है, जब मैं 2018 में अपनी जॉब के लिए भिलाई गया था.

मैंने अपने शोरूम के पास ही रूम ले लिया जहां हम बैचलर ही रहते थे.

किसी भी लड़की को कमरे पर लाना कोई मुश्किल का काम नहीं था.

मेरे जितने भी दोस्त थे, सब अपनी गर्लफ्रेंड को वहां लाकर चोदते थे.

मैं उन लोगो को देख कर बस अपना लंड सहला लेता था.

मेरे दोस्त मुझसे कहते थे कि तू भी किसी कॉलगर्ल को बुला कर पेल ले.

पर मुझे तो अंजलि की चूत की चुदाई करनी थी.

हुआ कुछ यूं कि मेरे बड़े भैया की शादी 2016 में हुई, तो मुझे उनकी साली अंजलि बड़ी पसंद आ गई थी. मैं उसके ऊपर लाइन मारता था.

मैंने किसी तरह से जुगाड़ करके उसका नंबर भी हासिल कर लिया था.

उससे बात करने की कोशिश भी बहुत की, लेकिन वो मुझसे पटी ही नहीं.

समय का पहिया आगे बढ़ता गया.

अब हुआ ऐसा कि एक दिन जब मैं ऑफिस में था, तब अंजलि का कॉल आया.

वह बोली- यार, आज मैं भिलाई आई हूं कुछ काम से, काम ज्यादा है, जिससे मुझे यहां रात हो जाएगी. मैं आज घर नहीं पहुंच पाऊंगी, क्या मैं आज के लिए तुम्हारे रूम पर रुक सकती हूं?

मैंने कुछ देर सोचा, फिर हां कह दिया- हां तुम आ जाना.

वो बोली- तुम अकेले रहते हो न अपने रूम में?

मैंने कहा- हां, कोई दिक्कत है क्या?

वो बोली- नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मैंने इसलिए पूछा कि तुम्हें कोई परेशानी न हो.

मैंने कहा- अरे यार मुझे क्या दिक्कत होगी. तुम जैसी स्वीट लड़की मेरे साथ कमरे में अकेली होगी तो मुझे तो अच्छा ही लगेगा.

वो हंसते हुए बोली- ज्यादा फ्लर्ट करने लगे हो तुम.

मैंने कहा- मेरे भाई की साली लगती हो तुम … और साली से मजाक करना तो बनता है यार!

वो हंसते हुए स्वर में बोली- चलो मिलकर बताती हूँ.

मैंने उससे पूछा- मेरा कमरा देखा है … कैसे आओगी?

वो बोली- नहीं, मैं तुम्हें फोन कर दूंगी, तुम आकर मुझे ले जाना.

मैंने ओके कहा और फोन काट दिया.

मैं शोरूम से रात के 9.00 बजे छूटा तो उससे बात करके उसकी बताई जगह पर लेने के लिए चला गया.

कुछ देर बाद तय स्थान से मैंने उसे लिया और लेकर रूम में आ गया.

अब मैं आपको उसके बारे में बताऊं.

वो सिंपल सी दिखनी वाली लड़की की है, मतलब उसका जिस्म इकहरा है.

उसकी चूची भी बहुत छोटी हैं, वो दिखने में एकदम स्लिम और सेक्सी लगती है.

देखने में उतनी आकर्षक भी नहीं लगती.

मगर मुझे उसकी यही सादगी भा गई थी.

उस वक्त मुझे न जाने क्यों ऐसा लगता था कि जिनकी बॉडी भरी हुई होती है या जो दिखने में ज्यादा हॉट लगती हैं, वो सब खेली खाई रहती हैं.

जबकि अंजलि मेरे मन माफिक दिखने वाली लड़की थी.

कमरे पर आकर हम दोनों ने खाना खाया, इधर उधर की बातें की, फिर सोने चले गए.

अब मेरे रूम में केवल एक ही बेड था तो दोनों साथ में लेट गए.

लेकिन वो मुझे थोड़ी दूरी बनाकर लेटी थी.

मैं सोचने लगा कि इसे कैसे आज सेक्स के लिए पटाऊं.

मैं उससे बोला- यार मुझे तुम्हें किस करना है.

उसने मना कर दिया- और कहने लगी पहले किस करोगे … फिर बोलोगे कि चिपका कर सोना है.

मैंने कहा- तो इसमें क्या बुरा है?

वो बोली- अच्छा … एक जवान लड़की से चिपक कर सोने में कुछ बुरा नहीं है?

मैंने कहा- हां कुछ बुरा नहीं है. चलो तुम्हें करके बताता हूँ.

ये कहते हुए मैंने उसकी  तरफ देखा और सीधे उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

एक दो बार उसने हटने की कोशिश की पर मैं नहीं रुका.

मगर एक बार भी अंजलि ने रुकने के लिए नहीं कहा.

मैंने सोचा कि अगर इसकी राजी न होती, तो ये हाथ लगाते ही चिल्लाने लगती.

इसका मतलब ये हुआ कि उसका भी कुछ करने का मन है.

बस इसी सोच ने मेरी हिम्मत को बढ़ा दिया.

मैं उसे चूमने में लगा रहा.

कुछ देर के बाद वो भी साथ देने लगी.

मैं उससे बोला- क्या हुआ मैडम? मजा आने लगा क्या?

वो हंस दी मगर कुछ बोली नहीं.

फिर मैंने उसकी छोटी छोटी चूचियों को कपड़ो के ऊपर से दबाना चालू कर दिया.

इससे वो और भी ज्यादा गर्म हो गई.

मैं उसके टॉप को ऊपर सरकाया और उसके पेट पर और पीठ पर हाथ फेरते हुए अन्दर हाथ डालकर उसकी चूची को दबाने लगा.

साथ ही अपने होंठों से उसके होंठों को लगातार चूस भी रहा था.

वो और भी ज्यादा गर्म होने लगी थी.

फिर मैंने उसके कपड़ों को निकाला और साथ ही अपने कपड़े भी निकाल दिए.

वो मेरे सामने अब केवल पैन्टी में थी और मैं भी अब अंडरवियर में आ गया था.

नंगे जिस्म जब एक दूसरे से रगड़ना शुरू हुए तो हम दोनो में गर्मी बढ़ने लगी.

लगातार चूमने और चुचियों को दबाने के बाद मैने अपना हाथ उसकी पैंटी के डाल दिया.

मेरे हाथ ले जाते ही वह माना करने लगी फिर भी मैं नही माना और अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया.

उसकी चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी.

मैं चूत को सहलाने लगा.

मैं जैसे जैसे चूत को रगड़ रहा था, वो जोर जोर से मेरे होंठों को चूसने लगी थी.

उसमें पूरा जोश चढ़ चुका था.

कुछ देर बाद मैने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया पर उसने अपना हाथ हटा लिया.

मैंने फिर से उसे लंड पकड़ाया.

फिर भी उसने लंड नहीं पकड़ा.

इधर मेरा लंड तो तंबू की तरह खड़ा हो चुका था.

मैंने उसकी पैन्टी उतार दी और अपना खुद भी पूरा नंगा हो गया.

वो थोड़ा शर्मा रही थी मगर मैंने उसे चित लिटा दिया और उसकी चूत मेंअपनी एक उंगली डालने लगा.

चूंकि उसका फर्स्ट टाइम था तो वो पहले ही घबरा सी रही थी.

उंगली डालने पर उसे थोड़ा दर्द हुआ और उसने बाहर निकालने को कहा.

पर मैं कहां मानने वाला था. मैंने उसकी चूत में उंगली करने लगा.

कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा और चूत से पानी निकलने लगा.

फिर मैने दूसरी उंगली डालने का सोचा.

जब मैंने दूसरी उंगली डाली तो अन्दर डालने में दिक्कत हो रही थी.

वो तड़पने लगी और मेरा हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी.

फिर भी मैंने जैसे तैसे उसकी चूत में दो उंगलियां डाल दीं और कुछ देर अन्दर बाहर किया.

वो मचल रही थी और शायद वह कहीं न कहीं अपनी चूत को उंगलियों से चुदवाने का मजा भी ले रही थी.

सच बोलूं तो उसकी चूत थोड़ी खुल  गई थी.

मेरी उंगली में खून की कुछ बूंदे भी लग गई थी.

मैं समझ गया कि चूत अब खुल चुकी है और अब मुझे अपने लन्ड को चूत में डाल देना चाइए.

मैंने अपने लंड को सहलाया.

वो मेरा लवड़ा देखकर ही घबरा गई. पहले से उसकी हालत खराब हो गई.

वो बोली- दो उंगलियों से ही मुझे बहुत दर्द हो रहा था … इससे तो मेरी चूत फट जाएगी. मैंने आज तक कुछ नहीं किया है, प्लीज़ इसे मत डालो.

पर मैं कहां रुकने वाला था … मैंने उसेसे कहा कि मैं धीरे धीरे करूंगा, तुम घबराओ मत.

वो बोली- नहीं करो प्लीज़.

मैंने उससे कहा – उंगली से ज्यादा दर्द होता है, इससे दर्द नही होगा.

मेरी बात से वो कुछ शांत सी हो गई.

फिर वो राजी हो गई क्योंकि चुदने का मन तो उसका भी था.

अब मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला दिया. उसकी गांड़ के नीचे तकिया लगाया ताकि चूत थोड़ा ऊपर आ जाए और लंड आसानी से चूत में चला जाए.

फिर जैसे ही मैंने लंड को चूत पर रखकर धक्का दिया तो लंड फिसल गया.

मैने फिर से लंड को चूत पर सैट किया और थोड़ा सा जोर लगाया .

लेकिन चूत ज्यादा टाईट होने के कारण जिस लंड अन्दर घुस ही नहीं रहा था और उसे दर्द भी होने लग गया था.

वो करहाने लगी, जिससे लंड को अन्दर डालने में परेशानी हो रही थी.

वो बार बार चुदाई के लिए मना करने लगी.

लेकिन मैंने भी ठान लिया था कि आज इसकी चूत नहीं फाड़ी, तो थू है मेरी मर्दानगी पर.

बस यही सोचते हुए मैंने उसको किस करने लगा और अपने लंड को चूत की दरार में फंसा दिया.

अभी मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में फसा हुआ था.

मैं उसके होंठों को चूमने में लगा था.

वो भी मेरे होंठों को चूमने लगी.

हम दोनों को मजा आने लगा.

उसका चूत की तरफ से ध्यान हट सा गया था.

उसे ये याद ही न था कि उसकी चूत में लन्ड का टोपा फंसा हुआ है.

थोड़ी देर किस करने के बाद मैंने फिर से लंड डालने की कोशिश करने लगा.

लेकिन उसका पहली बार होने की वजह से लंड थोड़ा सा घुसते ही उसकी दर्द से हालत खराब हो गई.

वो कराहती हुई कहने लगी- बहुत दर्द हो रहा है प्लीज … इसे निकालो, पहले कुछ चिकनाई लगा लो फिर करना.

मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसमें वेसलीन लगाई.

फिर थोड़ी सी वैसलीन उसकी चूत पर लगाई उसके बाद उसे फिर से चुदाई के लिए लन्ड सेट करने लगा.

मेरे बेड के पास एक खिड़की थी और मेरा बेड खिड़की वाली दीवार से टिका था.

इस बार जब मैंने अपना लंड डाला और अपने हाथ से खिड़की को कसकर पकड लिया और पूरी ताकत के साथ लंड चूत में पेल दिया.

अबकी बार मैंने कुछ ज्यादा ही ताकत लगाई थी जिस कारण से पूरा लंड एक बार में चूत में घुस गया.

अंजलि को ये झटका बर्दाश्त नहीं हुआ था.

दर्द के कारण वो चूत से लन्ड को निकालने की कोशिश कर रही थी.

मैं लंड को डाले हुए उसके ऊपर पड़ा रहा और उसके होंठों को चूसने लगा.

थोड़ी देर में ही वो नॉर्मल हो गई फिर मैं लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा।

अब उसकी चूत पहले से ढीली हो गई थी, तो लंड आसानी से आगे पीछे हो रहा था.

अंजलि को अब दर्द के साथ साथ मज़ा भी आ रहा था.

कुछ देर धक्के देने के बाद वो चुदाई में मस्त हो गई और मजे से लंड का स्वाद ले रही थी.

मैं करीब दस मिनट तक उसे चोदता रहा और उसकी चूत में पानी छोड़ दिया.

जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो मेरा लंड और चूत दोनो ही खून से लाल हो चुके थे.

एक बार की चुदाई से मैं कहा रुकने वाला था, मैं फिर से उसे चोदना चाहता था.

मगर एक बार चोदने में ही अंजलि बेहाल हो चुकी थी.

उसमें इतनी ताकत भी नहीं थी कि वो फिर से चुदाई के लिए तैयार हो सके.

उसकी हालत देखकर मुझे सोना ही ठीक लगा.

अगले दिन सुबह मैने अंजलि को दोबारा से चोदा.

दूसरी बार की चुदाई में वो उछल उछल कर लन्ड ले रही थी.

फिर जब हम दोनों नहाने एक साथ बाथरूम में गए तो उधर उसने अपनी हसरत मुझे बताई.

अंजलि कहने लगी- मैं खुद तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती थी मगर तुमसे बोल नहीं पा रही थी.

मैंने कहा- हां यार, यही मेरे साथ था. वो तो कल पता नही कैसे सब हो गया, कुछ महसूस ही न हुआ.

इसके बाद मैंने उसे कई बार चोदा. दोस्तो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे अंजलि की चूत ने चुदाई के कारण मूत छोड़ दिया था.

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