दोस्तों मेरी हिंदी चुदाई कहानी में आपका स्वागत। मैं बैंगलोर में अपने परिवार के साथ रहता हूं। मुझे बैंगलोर शिफ्ट होके पांच साल हो गए है। मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं, और कंपनी में टॉप लेवल में नौकरी करता हूं, और एक बड़े अपार्टमेंट में रहता हूं।
ये बात तीन साल पहले की है। मैंने अपने बेटे का एक स्कूल में एडमिशन कराया। वहां मेरी मुलाकात उसकी क्लास मैडम से हुई। उसने अपना नाम एकता बताया। उमर 27 साल। एक-दम गोरी, और खूबसूरत। कोई भी देख ले तो उन पर फिदा हो जाए। मेरी बेटे को बस पर छोड़ने के टाइम रोज उनसे मुलाकात हो जाती थी, और हाय-हेलो होती थी। वो भी हमारी ही सोसाइटी के दूसरे टावर में रहती थी।
एक दिन स्कूल बस निकल जाने की वजह से मैंने एकता और अपने बेटे को ऑफिस जाते वक्त स्कूल में छोड़ा। तभी मेरी उनसे अच्छे से मुलाकात और बात भी हुई। तब पता चला वो अकेले ही रहती थी। उसके हसबैंड नोएडा में जॉब करते थे, और उनकी शादी को अभी दो साल ही हुए थे।
खैर मैंने उन्हें ड्रॉप किया और ऑफिस चला गया। शाम को घर आ कर मैंने मेरी बीवी को ये बात बताई। उसने भी मुझे बोला कभी मैडम से मुझे भी मिलवा दीजिए। उन्हें कोई काम हो या हमें कोई काम हो तो एक-दूसरे के काम आ सकते है।
अगले दिन मैंने एकता को ऑफिस से फोन किया और डिनर के लिए उन्हें इनवाइट किया। वो मान गई और रात लगभग आठ बजे हमारे घर पर आई। मैंने अपनी बीवी की मुलाकात मैडम से कराई। वो मेरे बेटे के लिए कुछ चॉकलेट भी लाई थी। उस टाइम हमारा एक ही बेटा था। हम सभी ने मिल कर डिनर किया, और ढेर सारी बात की। एकता मेरी वाइफ से काफी घुल-मिल गई थी, और वो मेरी वाइफ को दीदी बोलने लगी।
एक ही अपार्टमेंट में रहने के कारण हम काफी अच्छे दोस्त बन गए। वो मेरे साथ काफी घुल मिल कर बात करने लगी। कभी-कभी तो सेक्स तक की भी बातें करती थी। मुझे पता चला वो अपने पति के साथ सेक्स के मामले में खुश नहीं थी। इधर उनसे मिलने के बाद मेरी तो उनको चोदने की इच्छा ही बढ़ गई थी। मैं रोज मेरी वाइफ को एकता समझ कर चोदता था।
उसके एक महीने बाद ही स्कूल की वेकेशन शुरू हो गई। मेरी वाइफ बेटे के साथ अपने मायके चली गई एक महीने के लिए। लेकिन एकता को स्कूल से कोई छुट्टी नहीं मिली तो उसे बैंगलोर में ही रुकना पड़ा कुछ स्कूल प्रोजेक्ट के लिए।
हम लोग अब रोज फोन पर बात करने लगे थे। उसे जब पता चला मेरी वाइफ घर पर नहीं हैं तो शाम को उसने मुझे डिनर के लिए अपने घर इनवाइट किया। मैं शाम को घर में लोअर और टी-शर्ट डाल कर एकता के फ्लैट पर पहुंच गया। मैंने कॉलबैल बजाई तो उसने दरवाजा खोला।
क्या माल लग रही थी वो, मानो कोई परी जमीन पर उतर आई हो। उसने काले कलर की नाइटी पहनी थी। परफ्यूम की बहुत ही बढ़िया सुगंध आ रही थी। वो पूरी तरह से तयार थी। मैं अंदर गया, उससे पहले ही मेरा लंड ना जाने कब एक-दम कड़क हो कर खड़ा हो गया, और लोअर में से साफ दिखाई देने लगा।
मैं सोफे पर जाकर बैठ गया एकता मेरे लिए पानी लेकर आई, और मेरी पास में ही बैठ गई। उसने मेरे लंड को लोअर के उभार से ही देख लिया था । पता नहीं उसे एक-दम क्या हुआ, उसने मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया, और रोने लगी।
मैंने पूछा: क्या हुआ एकता?
तो वो जोर से मेरे सीने से लिपट गई। ऐसा करते ही मेरे शरीर में एक-दम सनसनी सी फैल गई। मैंने उसे खड़ा किया, और आमने-सामने अपने से लिपटा लिया। हम दोनों करीब पांच मिनट ऐसे ही लिपटे रहे। उसके बूब्स मेरे सीने से लगे हुए थे, और मेरा लंड उसकी चूत को छू रहा था।
फिर हमने एक-दूसरे को किस करना शुरू किया। धीरे-धीरे उसने अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया और लोअर के उपर से ही मसलने लगी। मैंने भी अपने एक हाथ से बूब्स को मसलना शुरू किया, तो वो एक-दम पागल हो गई।
उसने एक ही झटके में मेरे लोअर को नीचे कर दिया, और लंड को मुंह में ले लिया। वो लगभग दस मिनट तक ऐसे ही मेरे लंड को चूसती रही। मैं तो आज जन्नत में ही पहुंच गया था। किसी ने मेरे लंड को आज तक ऐसे नहीं चूसा था। वो पूरा मजा ले रही थी। मुझसे भी अब रुका नहीं गया, और पूरी स्पीड से उसके बालों को पकड़ कर अपने लंड से उसके मुंह को चोदने लगा।
मेरा लंड उसके गले तक जा रहा था, जिससे वो एक-दम तड़प उठी, और मैं कुछ देर बाद ही उसके मुंह में ही झड़ गया। उसने मेरा पूरा लंड अपनी जीभ से चाट कर साफ कर दिया, और अब हम दोनों सोफे पर ही बैठ गए।
मैंने पूछा: एकता तुमने तो मुझे डिनर के लिए बुलाया था। ये सब क्या है (थोड़ा मजाक के स्वर में उससे बोला)?
वो भी क्या कम थी।
वो बोली: ये डिनर का ही एक पार्ट, यानी स्टार्टर है।
तभी किसी ने कॉलबैल बजाई।
मैं बोला: इस टाइम कौन है?
मैंने झट से अपना लोअर उपर किया, और बैठ गया। वो गेट पर गई। डिलीवरी बाय था। उसने खाना ऑर्डर किया हुआ था। उसने पहले खाना टेबल पर लगाया। हम दोनों ने खाना खाया और बातें करने लगे। उसने बताया कि उसके पति में सेक्स की कोई फीलिंग नहीं थी, इसीलिए दो साल के बाद भी वो मां नहीं बन सकी।
वो बोली: तुम्हारा मेरे पति के साइज से तीन गुना बड़ा है। अरुण मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनना चाहती हूं आज ही।
मैं उसे मन ही मन चाहता था, और पेलना भी चाहता था। लेकिन सोचता था ये सब कैसे हो पाएगा। पर वो तो खुद ही मुझसे पागलों की तरह चुदना चाहती थी ।
अब हमने साथ में अपना डिनर किया, और फिर वो मुझे अपने बेडरूम में ले कर गई। रूम से बहुत अच्छी महक आ रही थी। वो मुझसे फिर लिपट गई। अब मैं भी उससे अच्छी तरह से लिपट गया, और उसे बेड पर लिटा दिया। लेकिन लिटाने से पहले मैंने उसकी नाइटी निकल दी, और अपनी टी-शर्ट और लोअर भी निकाल दिया। वो काली ब्रा और पैंटी में गजब लग रही थी। बदन तो उसको गोरा था ही, एक-दम पतली कमर, थोड़े मोटे बूब्स, और थोड़ी बाहर निकली हुई गांड थी।
मैंने उसे बेड पर लिटा लिया, और मैं उसके उपर आ गया, और उसे पागलों की तरह किस करने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी, और सिसकारियां ले रही थी। मैंने उसके होठों से शुरू किया। फिर धीरे से उसकी ब्रा हटा दी, और बूब्स को चूसना शुरू किया। वो पागलों की तरह किस करने लगी।
उसका एक-दम चिकना बदन था। एक-दम नर्म मुलायम। मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स चूस जा रहा था। अब मेरा एक हाथ उसकी पैंटी पर पहुंच गया, और मैंने फील किया उसकी पैंटी एक-दम गीली हो चुकी थी। शायद वो एक-दो बार झड़ चुकी थी। फिर मैं उसके नीचे उसकी चूत के पास अपने मुंह को ले गया। उसकी खुशबू को मैंने पहले पैंटी के उपर से ही महसूस किया। क्या मॉल था। फिर झट से मैंने उसकी पैंटी उतार दी।
अब मेरे सामने एक दम गुलाबी, बढ़िया से शेव की हुई, नरम, और छोटे से साइज़ की चूत थी, जिसे पहले तो मैं देखता रहा। ये किसी औरत की नहीं बल्कि किसी कुंवारी लड़की की चूत लग रही थी। फिर मैंने उस पर अपना हाथ घुमाया तो एकता एक-दम सिसकारियां लेने लगी। मैंने तुरंत अपना मुंह उसकी गुलाबी चूत पर रख दिया, और अपनी जीभ इस पर फेरने लगा।
मैंने धीरे से उसकी चूत में अपनी जीभ घुमाई। वो आह आह की आवाज निकालने लगी। मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदता रहा। अभी दस मिनट ही हुए थे, कि, उसने एक-दम मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबाया। मुझे मालूम हो गया वो झड़ने वाली थी। फिर वो झड़ गई, और क्या मजा आया था।
वो पागलों की तरह मुझे सहलाए जा रही थी। अब हम 69 की पोजीशन में आ गए। वो मेरे उपर थी। उसने मेरे लंड को कुल्फी समझ रखा था, और चाट-चाट कर चूसे जा रही थी। उसके मुंह के पानी से मेरा लंड भी एक-दम चमक उठा था, और मेरे मुंह पर वो अपनी चूत रगड़ रही थी। मैं अपनी जीभ से उसके क्लिट को छेद रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद, वो मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट करके धीरे-धीरे डालने की कोशिश करने लगी। क्योंकि उसकी चूत छोटी थी, तो उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था ऐसा करने में। मैं उसका नीचे से साथ दे रहा था। अब लंड पर वो पूरी तरह बैठ कर मुझे चोदने लगी। उस समय वो क्या एहसास था, मैं शब्दों में नहीं बता सकता। पूरे रूम में फच-फच की आवाज आ रही थी। ऐसे वो पंद्रह मिनट करने के बाद झड़ गई, और मेरे सीने पर ही पड़ गई।
लेकिन मेरा लन्ड अभी झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। क्योंकि मैं पहले ही एकता के मुंह में झड़ चुका था। अब मैंने उसकी बेड के साइड में घोड़ी बनाया, और पीछे से चूत में जोरदार धक्के के साथ अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी, लेकिन मैंने उसे पूरी तरह से जकड़ रखा था, तांकि वो नीचे से निकल ना सके। अब मैं बे परवाह एकता को चोदे जा रहा था। उसे भी बहुत मजा आ रहा था। वो बार-बार बोल रही थी-
एकता: अरुण आज से मैं आपकी हूं। मुझे और जोर से चोद दो।
अब मेरा होने वाला था। अब मैंने उसे बेड पर लिटाया, और मिशनरी पोजीशन में आ गया। ऐसे भी उसे खूब चोदा, और एकता ने भी मेरा साथ भरपूर दिया। पंद्रह मिनट बाद मैंने उससे पूछा मेरा होने वाला है।
वो बोली: अंदर ही निकाल दो, मैं आपके बच्चे को जन्म देना चाहती हूं।
और मेरा एक दो झटके में अंदर ही निकाल गया।
मैं उस रात उसके घर पर ही रुक गया। उसने भी मुझे जाने से मना कर दिया, और पूरी रात में हमने तीन बार सेक्स किया। सुबह लगभग 6 बजे मेरी आंख खुली, तो हम दोनो नंगे ही बिस्तर पर पड़े हुए थे।
मैं उठा और एकता से कहा: अब मैं निकलता हूं, मुझे ऑफिस भी जाना है।
पर वो बोली: पागल आज इतवार है। ऑफिस और स्कूल दोनों की छुट्टी है। सो जाओ अभी।
मैं बाथरूम में गया। फिर रेडी हो कर फिर उससे लिपट कर सो गया। उस दिन भी हम दोनों ने लगभग चार-पांच बार सेक्स किया होगा, और शाम को हम डिनर के लिए बाहर चले गए। दोस्तों एक महीने तक जब तक मेरी बीवी नहीं आई, एकता को ही अपनी बीवी बना कर खूब चोदा। मेरी हिंदी चुदाई कहानी आपको कैसी लगी मुझे जरूर बताएं।